Sunday, August 14, 2011

भ्रष्टाचार के खिलाफ

सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे भ्रष्टाचार के विरोध और जन लोकपाल बिल के लिए अपने कई सहयोगियों के साथ जंतर - मंतर पर आमरण अनशन पर बैठ गए हैं। अन्ना हजारे चाहते हैं कि सरकार जन लोकपाल बिल तुरंत लाए , लोकपाल की सिफारिशें अनिवार्य तौर पर लागू हों और लोकपाल को जजों , सांसदों , विधायकों आदि पर भी मुकदमा चलाने का अधिकार हो। लेकिन सरकार इन खास मुद्दों पर बहस और चर्चा की जरूरत मान रही है।
72 वर्षीय हजारे ने 5 अप्रैल सुबह 9 बजे राजघाट पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देने के बाद एक मार्च निकाला और जंतर - मंतर पर अनशन पर बैठ गए। हजारे ने यहां कहा , ' जब तक सरकार हमारे देश में भ्रष्टाचार से निपटने के लिए जन लोकपाल बिल को प्रभाव में नहीं लाती तब तक वह आमरण अनशन पर रहेंगे। इस दौरान सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश , पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी और संदीप पांडेय भी मौजूद थे।
सोमवार को पत्रकारों से बातचीत में हजारे ने आमरण अनशन पर बैठने की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था , ' उन्हें इस बात से काफी दुख हुआ कि प्रधानमंत्री ने जन लोकपाल बिल का मसौदा तैयार करने वाली संयुक्त समिति में वरिष्ठ मंत्रियों के साथ समाज के जाने माने लोगों को शामिल करने के उनके प्रस्ताव को खारिज कर दिया। इसलिए पूर्व में की गई घोषणा के अनुसार मैं आमरण अनशन पर बैठूंगा। यदि इस दौरान मेरी जिंदगी भी कुर्बान हो जाए तो मुझे इसका अफसोस नहीं होगा। मेरा जीवन राष्ट्र को समर्पित है। '
हजारे ने कहा कि न्यायमूर्ति ( रिटायर्ड ) संतोष हेगड़े , वकील प्रशांत भूषण और स्वामी अग्निवेश जैसे जानेमाने लोगों के विचारों को सरकार ने महत्वपूर्ण नहीं समझा और शरद पवार सरीखे एक मंत्री बिल का मसौदा तैयार करने वाली समिति के प्रमुख हैं , जो महाराष्ट्र में बड़े स्तर पर जमीन रखने के लिए जाने जाते हैं।
इस बीच प्रधानमंत्री कार्यालय ने हजारे के आमरण अनशन पर जाने के फैसले पर निराशा प्रकट की और कहा कि इस बात से गहरी निराशा हुई है कि हजारे अब भी भूख हड़ताल पर जाने के बारे में सोच रहे हैं। पीएमओ द्वारा जारी वक्तव्य में कहा गया है कि हालांकि प्रधानमंत्री के मन में हजारे और उनके मिशन के लिए काफी सम्मान है।
प्रधानमंत्री कार्यालय के बयान में लोकपाल विधेयक पर उठाये गए कदमों के बारे में बताया गया है कि हजारे और उनके समूह ने प्रधानमंत्री को लोकपाल पर अपने प्रस्तावों का मसौदा दिया था। पीएमओ के अनुसार , मंत्री ए . के . एंटनी की अध्यक्षता वाली समिति ने हजारे के सहयोगी कार्यकर्ताओं से मुलाकात की लेकिन बातचीत विफल रही क्योंकि कार्यकर्ता सरकार द्वारा पूरी तरह अपना मसौदा स्वीकार किए जाने पर जोर दे रहे थे।

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