Sunday, August 14, 2011

प्रमुख कार्य

  • अन्ना हजारे ने 1975 से सूखा प्रभावित रालेगांव सिद्धि में काम शुरू किया। वर्षा जल संग्रह, सौर ऊर्जा, बायो गैस का प्रयोग और पवन ऊर्जा के उपयोग से गांव को स्वावलंबी और समृद्ध बना दिया। यह गांव विश्व के अन्य समुदायों के लिए आदर्श बन गया है।
महात्मा गांधी के बाद अन्ना हजारे ने ही भूख हड़ताल और आमरण अनशन को सबसे ज्यादा बार बतौर हथियार इस्तेमाल किया है। भ्रष्ट प्रशासन की खिलाफत हो या सूचना के अधिकार का इस्तेमाल, हजारे हमेशा आम आदमी की आवाज उठाने के लिए आगे आते रहे हैं। अन्ना हजारे ने 1997 में मुंबई के आजाद मैदान से सूचना के अधिकार की लड़ाई शुरू की थी।
9 अगस्त, 2003 को मुंबई के आजाद मैदान में ही अन्ना हजारे आमरण अनशन पर बैठ गए। 12 दिन तक चले आमरण अनशन के दौरान अन्ना हजारे और सूचना के अधिकार आंदोलन को देशव्यापी समर्थन मिलने के बाद महाराष्ट्र सरकार को मजबूरन इस बिल को पास करना पड़ा। 12 अक्टूबर 2005 को केंद्र सरकार ने भी इस कानून को लागू कर दिया। अगस्त, 2006 में सूचना के अधिकार में संशोधन प्रस्ताव के खिलाफ अन्ना ने 11 दिन तक आमरण अनशन किया, जिसे देशभर में समर्थन मिला। नतीजन, सरकार ने संशोधन से हाथ खींच लिए।आमरण अनशन को बनाया हथियार महात्मा गांधी के बाद सबसे ज्यादा बार आमरण अनशन और भूख हड़ताल पर बैठने वाले सामाजिक कार्यकर्ता हैं हजारे। 1991 में अन्ना हजारे ने पुणो के अलांडी में सरकार की भ्रष्ट मशीनरी के खिलाफ आमरण अनशन शुरू किया। 6 मंत्रियों और 400 अधिकारियों को उनको पदों से हटा दिया गया। 1995 में अन्ना हजारे ने महाराष्ट्र के 2 भ्रष्ट कैबिनेट मंत्रियों के खिलाफ अनशन का बिगुल फूंका। अन्ना को व्यापक समर्थन मिलने के बाद शिव सेना - भाजपा सरकार को दोनों मंत्रियों को हटाना पड़ा। 2003 में महाराष्ट्र में कांग्रेस - एनसीपी गठबंधन सरकार के चार मंत्री सुरेश दादा जैन, नवाब मलिक. विजय कुमार गवित और पद्म सिंह पाटिलअन्ना हजारे के अनशन के शिकार हुए।

No comments:

Post a Comment